Top bhairav kavach Secrets
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देवेशि देहरक्षार्थ कारणं कथ्यतां ध्रुवम्।।
दीप्ताकारं विशदवदनं सुप्रसन्नं त्रिनेत्रं
'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'
वाद्यं बाद्यप्रियः पातु भैरवो नित्यसम्पदा।।
चाग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्ड भैरव: । ।
नैॠत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे
The sadhak lives like the lifetime here of Kubera and gets to be triumphant in all places. The Sadhak lives a lifetime totally free from anxieties, incidents, and ailments.
गोपनीयं प्रयत्नेन तत्त्वात् तत्त्वं परात्परम् ।
म्रियन्ते साधका येन विना श्मशानभूमिषु ।
।। इति बटुक भैरव तन्त्रोक्तं भैरवकवचम् ।।
मन्वन्तरत्रयं स्थित्वा तिर्यग्योनिषु जायते ।
जो प्रतिदिन इस बटुक भैरव कवच का अभ्यास करता है, उसे यक्षिणी, अप्सरा और विभिन्न देवी साधनाओं में सफलता मिलती है
ॐ अस्य श्रीबटुकभैरवब्रह्मकवचस्य भैरव ऋषिः ।